मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010

एक शायर मर गया है...

एक शायर मर गया है,
इस ठिठुरती रात में...
कल सुबह होगी उदास,
देखना तुम....

देखना तुम...
धुंध चारों ओर होगी,
इस जहां को देखने वाला,
सभी की...
बांझ नज़रें कर गया है....
एक शायर मर गया है....

मखमली यादों की गठरी
पास उसके...
और कुछ सपने पड़े हैं आंख मूंदे....
ज़िंदगी की रोशनाई खर्च करके,
बेसबब नज़्मों की तह में,
चंद मानी भर गया है.....
एक शायर मर गया है....

एक सूरज टूट कर बिखरा पड़ा है,
एक मौसम के लुटे हैं रंग सारे....
वक्त जिसको सुन रहा था...
गुम हुआ है...
लम्हा-लम्हा डर गया है....
एक शायर मर गया है...
इस ठिठुरती रात में....

निखिल आनंद गिरि
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16 टिप्‍पणियां:

  1. एक सूरज टूट कर बिखरा पड़ा है,
    एक मौसम के लुटे हैं रंग सारे....
    वक्त जिसको सुन रहा था...
    गुम हुआ है...
    लम्हा-लम्हा डर गया है....
    well written...

    जवाब देंहटाएं
  2. अच्छी नज्म है
    कल हमारे शहर में एक शायर वाकई जन्नतनशीं हो गये -तसनीम फारुकी
    अदब का एक बहुत बड़ा नुक्सान

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  3. शायर कहाँ मरता है .....वो जों मर कर भी जिंदा रहता है शायर ही होता है .....भले ही किसी भी क्षेत्र से सम्बंधित हो .....तहरीरे तो बनती है....भले ही छपे नहीं तो क्या हुआ

    जवाब देंहटाएं
  4. अलका जी, आपका शहर कौन सा है.....तसनीम जो को हमारा आखिरी सलाम...इस नज़्म के ज़रिए ही सही

    जवाब देंहटाएं
  5. bahut umda, aapki kalam ne Gulzar - 'Ek Shayar tha' ko bhi peeche chor diya hai ... bahut kamaal hai

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  6. निखिल जी, बहुत ही अच्‍छी नज्‍म। पहले शब्‍द से आखिर तक श्रेष्‍ठ।

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  7. absolutely absolutely fabulous...!!

    bohot hi khoobsurat nazm hai. just a perfect balance of skin and bones...i mean thought and rhythm ;)

    mujhe literally kheench kar yahan laaya gaya tha, thanks to deepali :) so good to be here

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  8. शुक्रिया सांझ....अपना परिचय तो दीजिए मगर...दीपाली जी का भी शुक्रिया....ब्लॉग पर आते रहें...

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  9. निशब्द हूँ इस शानदार रचना पर्।

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  10. बहुत ही सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति ।

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  11. mera parichay aur kuch nahin bas...saanjh -a complicated simple girl ;)

    blog par to aate jaate rahenge hi..pehchaan ho hi jaayegi

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