urdu poetry लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
urdu poetry लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

एक सूरज टूट कर बिखरा पड़ा है...

सीने में जलन, आंखों में तूफान-सा क्यों है...
एक शायर मर गया है,
इस ठिठुरती रात में...
कल सुबह होगी उदास,
देखना तुम....

देखना तुम...
धुंध चारों ओर होगी,
इस जहां को देखने वाला,
सभी की...
बांझ नज़रें कर गया है....
... एक शायर मर गया है....

मखमली यादों की गठरी
पास उसके...

और कुछ सपने पड़े हैं आंख मूंदे....
ज़िंदगी की रोशनाई खर्च करके,
बेसबब नज़्मों की तह में,
चंद मानी भर गया है.....
एक शायर मर गया है....

एक सूरज टूट कर बिखरा पड़ा है,
एक मौसम के लुटे हैं रंग सारे....
वक्त जिसको सुन रहा था...
गुम हुआ है...
लम्हा-लम्हा डर गया है....
एक शायर मर गया है...
इस ठिठुरती रात में....

(एक पुरानी नज़्म, शहरयार साहब की यादों के साथ दोबारा पढ़ें)

ये पोस्ट कुछ ख़ास है

अलिफ़ की तरह हूं, बिल्कुल अकेला

वो कहने को तो अनजाने बहुत हैं मगर उनसे जुड़े अफ़साने बहुत हैं। शहर ये नींद से जागे तो कैसे तुम्हारे शहर में मयखाने बहुत हैं। कभी छलकी, कभी पल...