इस साल की आखिरी पोस्ट एक बाल कविता जो लोई के स्कूल में सुनाने के लिए लिखी थी।
डिजिटल जेनेरेशन के बच्चे।
बागों में कभी फूल न देखा
असली वाला स्कूल न देखा
होमवर्क पर सॉफ्टी मिलती
टीचर इतनी कूल न देखा
हम गूगल पीढ़ी के....
व्हाट्सऐप पर होमवर्क करते
गूगल मीट पर क्लास
हैंड रेज़ कर परमिशन लेते
सूसू लगे या प्यास
हम गूगल पीढ़ी...
गूगल अंकल क्लोज़ रिलेटिव
यूट्यूब है पहचान
टैब हमारे कुलदेवता
चार्जर में बसे प्राण
हम गूगल पीढ़ी..
Mute लगाकर मैम हमारी
कब तक क्लास लगायेंगी
PTM में पापा मम्मी को
सामने कब बिठाएंगी?
Online को mute लगा कर
Offline जब स्कूल जाएंगे
अपनी मैम को साथ में लेकर
खूब धमा चौकड़ी मचाएंगे।
हम गूगल पीढी के बच्चे हैं,
डिजिटल जेनरेशन के बच्चे।