जब ठठाकर हंस देती है सारी दुनिया,
बिना किसी बात पर..
अचानक कंधे पर बैठ जाती है गौरेया
कहीं किसी अंतरिक्ष से आकर..
चोंच में दबाकर सारा दुख
उड़ जाती है फुर्र..
फिर न दिखती है,
न मिलती है कहीं..
मगर होती है
सांस-दर-सांस
प्रेम की तरह..
जब ठठाकर हंस देती है सारी दुनिया,
बिना किसी बात पर..
अचानक कंधे पर बैठ जाती है गौरेया
कहीं किसी अंतरिक्ष से आकर..
चोंच में दबाकर सारा दुख
उड़ जाती है फुर्र..
फिर न दिखती है,
न मिलती है कहीं..
मगर होती है
सांस-दर-सांस
प्रेम की तरह..
![]() |
तस्वीर में मैं हूं और मेरे बचपन का साथी मेरा बैट.... आज भी उस मकान में रखा मिला, जहां बचपन का बड़ा हिस्सा गुज़रा. ऊपर की फोटो ईटीसी मैदान की है, मेरा फेवरेट मैदान |
काश… कभी तुमसे कह पाती सुलेखा कितना चाहता है कनु तुम्हें इतनी बातें हैं दिल में पर तुम्हारे सिवा किसे सुनाऊँ? याद है मुझे वो जन्मदिन तुम्हार...