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बुधवार, 31 जुलाई 2024

रिंगटोन

एक सस्ता फोन मां के पास है
जो चाह कर भी नहीं टूटता
पिता के पास भी है फोन
वह ख़ुद भी टैंपर्ड ग्लास की तरह
टूटने से बचाते हुए हमें
हमारी सुरक्षा के भ्रम में हैं।

एक लैंडलाइन अब तक है 
हमारे यहां जो कुछ दिन में
इतिहास बन जाएगी।

जितने लोग हैं दुनिया में
उनसे कहीं ज़्यादा हैं फोन
ग़लत नंबर वालों के कॉल सबसे ज़्यादा
कर्ज़ वालों के भी
थाई मसाज कराने के लिए भी 
कर लेता है कोई अजनबी संवाद।
कोई वोट मांगने के लिए भी
कर लेता है झूठमूठ याद। 

जो असल में याद आते हैं
बहुत प्रतीक्षा करने पर भी 
नहीं आता उनका कोई फोन कॉल

विज्ञान तुम आगे बढ़ो इतना कि
जीवन-मृत्यु के दो संसारों में 
बंट गए अभिन्न लोग
एक बार कॉल कर सकें एक-दूसरे को
या किसी रिंगटोन के सहारे ही
खोल दो उनकी अनंत नींद

कविता में याद करने की अपनी सीमाएं हैं।

निखिल आनंद गिरि

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