जो उन्हें क़ायनात लगती है,
आपको दाल-भात लगती है।
हम भी आंखों में ख़ुदा रखते थे,
अब तो बीती-सी बात लगती है।
एक ही रात लुट गया सब कुछ,,
दुनिया अब रात-रात लगती है।
उनके नारों में इनकलाब नहीं,
मुझको तो वाहियात लगती है।
आपको चांद इश्क लगता है
हमको उसकी बिसात लगती है।
हमसे इक ज़िंदगी भी जी न गई,आपको दाल-भात लगती है।
हम भी आंखों में ख़ुदा रखते थे,
अब तो बीती-सी बात लगती है।
एक ही रात लुट गया सब कुछ,,
दुनिया अब रात-रात लगती है।
जलसे वाली जमात लगती है।
आप कहते हैं डेमोक्रेसी है,
हमको चमचों की जात लगती है।
निखिल आनंद गिरि
आप कहते हैं डेमोक्रेसी है,
हमको चमचों की जात लगती है।
निखिल आनंद गिरि