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गुरुवार, 27 मई 2021

साइकिल पर प्रेमिका

1) इस कमरे की तस्वीरों का
उस कमरे की तस्वीरों से
अबोला है।
इस कमरे से उस कमरे तक
मैं पूरी दुनिया का फ़ासला तय कर लेता हूँ।
2) तुम्हारा प्रेम किसी पुलिसवाले की तरह
मंडराता है मेरे वजूद पर
मैं लाख बचूँ फिर भी
ढूंढ लेता है मुझे
पसीने से तर ब तर कर देता है।
3) मुझे किसी ने नहीं मारा
एक सपने में मुझे प्यास लगी
मैं कुएँ के पास पहुँचा
और वहीं डूब गया
मेरी शिनाख्त भी हो सकती थी
मगर नींद बिखर चुकी है अब तक।
4) मैं उन मर्दों की जमात में नहीं होना चाहता था
जो अपनी औरतों के किस्से उड़ाते
शराब में डूबकर दुनिया को
चुटकी में तबाह कर देते
मगर हुआ।
उन मर्दों से भी बचता रहा मैं
जो जादूगर होने का भ्रम रखते थे
वो अपने रूमाल में कुंठाओं को समेटकर
कबूतर निकालने का भ्रम रचते
और सिवाय टूटे पंखों के कुछ हासिल नहीं होता
मुझे भी नहीं।
मैं अपनी बारी की प्रतीक्षा में खड़े
उस आदमी सा होना चाहता था
जो लंबी भीड़ और पसीने में भी
दुनिया के बारे में बेहतर सोचता रहा।
साइकिल पर बिठाकर अपनी प्रेमिका को
दुनिया की सैर करवाने का
ख़याल जैसे।


निखिल आनंद गिरि

शुक्रवार, 14 मई 2021

अकेलेपन के नोट्स - 1

काम के सिलसिले में शायद तीन-चार साल पहले दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में में लंच के लिए गया था. मेरे नम्बर पर तब से वहाँ के ऑफर आते रहते हैं. मजाल है कि मैंने एक बार भी रिप्लाई किया किया हो.उस लड़की के लिए कभी कभी तरस भी आता रहा मगर कुछ खास नहीं.
इधर कुछ दिनों से फिर मेसेज ज़्यादा आने लगे हैं. होम डिलिवरी के ऑफर ज़्यादा. सोच कर ही रूह बैठ जाती है कि इस आइसोलेशन के दौर में फाइव स्टार होटल का खाना घर मंगवाना कितना बेवकूफ़ी भरा खयाल है. उस लड़की ने कहा - "मंगा लीजिए सर, होटल मे आजकल कोई नहीं आता. हमारी सैलरी भी कम आती है" 
मैंने कुछ जवाब नहीं दिया मगर उस लड़की से मिलने का मन हुआ. अपने हाथ की बनी खिचड़ी खिलाने का. उसकी उम्मीद एक ग़लत आदमी से है. 
हम सब किसी ग़लत आदमी से सब सही हो जाने की उम्मीद में हैं. 
भरम में जीना अलग मज़ा है. 

निखिल आनंद गिरि

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