रविवार, 20 जनवरी 2013

'अजी, आंख में पड़ गया था कुछ..'

आंखें

दो आंखें..
आंसू दो झरते हैं..
दो आंखों से..
दो आंखो की पीड़ा एक..

दो दिशाओं में तकती हैं..
दो आंखें..                                          
दोनों तरफ अंधेरा एक..

रोना

सबसे बुरा रोना वह
जब रोने के बाद 
ख़ुद ही पोछने पड़े आंसू
और दीवारों से करने पड़े बहाने
'अजी, आंख में पड़ गया था कुछ..
या कि प्याज़ बड़ी ज़ालिम चीज़ है यार..''

खिड़की

शौचालयों की कमी में,
वो छिप कर बैठ जाती हैं
नोकिया या वोडाफोन के इश्तेहारों तले,
कोई रेलगाड़ी जब गुज़रती है हहाती हुई,
वो कपड़े ठीक करती हैं
खड़ी हो जाती हैं..
इश्तेहार बन कर रह जाती हैं..
खिड़कियों से ताड़ती कई निगाहों के लिए..

बीमारी

मैं नींद की गोली लेता रहा
ख़ुद से बातें करता रहा
सपनों के साथ वक्त बिताने को
बीमारी अच्छा बहाना थी

गदहे

राजनीति के युवराज वही
जो दो नंबर के कर सके काम
वही लंबी रेस का घोड़ा
बाक़ी सब गदहे
भारत भ्रष्ट महान !

मोमबत्ती

पिघलने से पहले तक
जितना जलती है मोमबत्ती
रोशनी की उम्मीद बढ़ाती है
मोमबत्ती कोई चुनाव चिह्न नहीं
इसीलिए उम्मीद का मतलब धोखा नहीं
उम्मीद ही समझा जाए

आम आदमी

एक नई पार्टी मेंबर बना रही है,
लोगों को नई टोपी पहना रही है
टोपी पर लिखा होता है 'आम आदमी'
पांच रुपये की रसीद कटाकर
आम आदमी नई टोपी पहन रहा है...

निखिल आनंद  गिरि

6 टिप्‍पणियां:

इस पोस्ट पर कुछ कहिए प्लीज़

ये पोस्ट कुछ ख़ास है

Bura Bhala Talent Hunt 2025