सीने में जलन, आंखों में तूफान-सा क्यों है... |
इस ठिठुरती रात में...
कल सुबह होगी उदास,
देखना तुम....
देखना तुम...
धुंध चारों ओर होगी,
इस जहां को देखने वाला,
सभी की...
बांझ नज़रें कर गया है....
... एक शायर मर गया है....
मखमली यादों की गठरी
पास उसके...
और कुछ सपने पड़े हैं आंख मूंदे....
ज़िंदगी की रोशनाई खर्च करके,
बेसबब नज़्मों की तह में,
चंद मानी भर गया है.....
एक शायर मर गया है....
एक सूरज टूट कर बिखरा पड़ा है,
एक मौसम के लुटे हैं रंग सारे....
वक्त जिसको सुन रहा था...
गुम हुआ है...
लम्हा-लम्हा डर गया है....
एक शायर मर गया है...
इस ठिठुरती रात में....
(एक पुरानी नज़्म, शहरयार साहब की यादों के साथ दोबारा पढ़ें)
एक और क्लासिकल ...
जवाब देंहटाएंआपकी क़लम से!
ओह ... बहुत गहन भाव लिए हुये नज़्म
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली नज़्म...
जवाब देंहटाएंशहरयार जी को सादर श्रद्धांजली.
विनम्र श्रद्धांजलि !!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन... बेमिसाल... लाजवाब।
जवाब देंहटाएंश्रध्दासुमन....
बेहतरीन नज्म..
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