एक सुबह का सूरज
दूसरी सुबह-सा नहीं होता
एक अंधेरा दूसरे की तरह
नहीं होता।
संसार की सब पवित्रता
एक स्त्री की आंखें नहीं हो
सकतीं
एक स्त्री के होंठ
एक स्त्री का प्यार।
तुम जब होती हो मेरे पास
मैं कोई और होता हूं
या कोई और स्त्री होती है
शायद
जो नहीं होती है कभी।
मेरे भीतर की स्त्री खो गई
है शायद
ढूंढता रहता हूं जिसे
संसार की सब स्त्रियों में।
निखिल आनंद गिरि
बहुत सुन्दर ,मन को छूते शब्द ,शुभकामनायें और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर विचार
जवाब देंहटाएंशुभम . जय हो
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसलाम आपको
जवाब देंहटाएंआपको भी
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