सोमवार, 26 सितंबर 2011

हर एक सम्मान ज़रूरी होता है....

24 सितंबर की शाम यादगार थी। दिल्ली के हिंदी भवन में एक सामाजिक संस्था 'अंजना' ने अपने सालाना साहित्यिक कार्यक्रम के दौरान पांच युवा रचनाकारों को सम्मानित किया। तीन कहानीकार विवेक मिश्र, मनीषा कुलश्रेष्ठ और दो कवि विपिन चौधरी, निखिल आनंद गिरि (यानी मैं)। दिल्ली में किसी मंच पर कविताओं के लिए सम्मान लेने का ये पहला मौका था। अच्छा लगा। कुछ तस्वीरें बांट रहा हूं, अपने ब्लॉग के दोस्तों के लिए....आपको भी अच्छा लगेगा।
 मैं, मशहूर कथाकार मैत्रेयी पुष्पा और सम्मान.. 

कविताओं के लिए दाद देतीं मैत्रेयी

मंच पर (बाएं से) युवा आलोचक दिनेश, कथाकार मैत्रेयी पुष्पा, कथाकार और संपादक प्रेम भारद्वाज, युवा कथाकार मनीषा कुलश्रेष्ठ, युवा कथाकार अनुज

ज़रा फोटो छप जाने दे...

कार्यक्रम में मौजूद दर्शक..सबसे आगे मि. एंड मिसेज़ प्रेमचंद सहजवाला, जिनकी फुर्ती से उम्र का पता ही नहीं चलता..

12 टिप्‍पणियां:

  1. badhaai.. Maitreyi ji ke haanth se milnaa wo bhi puruskaaar se kam nahi hai

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  2. बहुत बहुत बधायी, जीवन में निरन्तर प्रशिध्हि युं हीं तुम्हारी कदम चुमे ।

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  3. निखिल जी आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनायें।

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  4. shayad vahaan hote to hum bhi jaan lete ki khushi ke ansu kya hote hain....tum pe itna garv hai ki kya kahein..... matha chum lete tumhara...bahut badhayi!!

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  5. राशि,
    धीरे-धीरे बोल कोई सुन न ले....

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  6. सम्मान बताता है कि आप जिस फील्ड में हैं वो आपके लिए ही है...बहुत बधाई निखिल साब कि आपने साहित्य को चुना है....इंशाल्लाह बहुत आगे जायेंगे

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