शुक्रवार, 14 जनवरी 2011

बाईं तरफ चलने में मौत है...

जब हम सड़क पर चलते थे,


तो चलते थे बाएं होकर....

सख्त हिदायत थी किताबों में...


फिर थोड़ी समझ बढ़ी,

देखने का मन हुआ...

कि अगर बाईं ओर सारे पैदल हैं,

तो दाईं ओर कौन है...

बीच में इतनी गाड़ियां, इतने धुएं

और इतने चुंबन थे कि,

सच कहूं कुछ देखने का मन ही नहीं किया...


कुछ सोचने का भी नहीं,

कि गांव का टुन्ना जिसने आज तक सड़क नहीं देखी,

वो किस ओर चलता है...

और जिनके घरों के बाईं ओर,

वास्तु के हिसाब से या तो नालियां थीं,

या फिर कूड़ेदानों की जगह...


यूं कुछ दिन तक हम चलते रहे लेफ्ट में...

जो पैदल मिला, मुस्कुरा दिए...

गुमान था कि कायदे से चलते हैं...

फिर एक दिन अचानक,

हमारे ठीक आगे का आदमी,

जो चल रहा था बाएं...

खिसक लिया बीच वाली कार में बैठकर....

एक और सड़क के बीचोंबीच चिल्लाने लगा,

और उसे कुचल दिया गया तेज़ी से...


कुछ ने सहानुभूति में खूब बकीं गालियां...

कुछ ने तमाशा किया और चल पड़े...

कि उन्हें समय से घर लौटना था,
बीवियों का ब्लाउज़ और बच्चों का डेरी मिल्क लेकर....

हालांकि बाद में मालूम हुआ,

सड़क पर एक नोट गिरा था,

जिसे लपकने गया था कुचला हुआ आदमी....

फिर इतना डर, इतनी घिन्न

कि सड़क पर चलना छूट गया....


हमने ढूंढी वो नसीहत भरी किताबें...

और चीरकर उड़ा दी दाएं-बाएं...


सारा झगड़ा सड़क पर चलने का है जनाब....

आकाश में उड़ने वाले न दाएं चलते हैं न बाएं..

वो देखते हैं सड़क पर मौत

और चीरते जाते हैं हवाएं...

जितना हवाओं में ज़हर भरता है,

उनकी उम्र लंबी होती है...


निखिल आनंद गिरि
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9 टिप्‍पणियां:

  1. सारा झगड़ा सड़क पर चलने का है जनाब....

    आकाश में उड़ने वाले न दाएं चलते हैं न बाएं..

    वो देखते हैं सड़क पर मौत

    और चीरते जाते हैं हवाएं...

    जितना हवाओं में ज़हर भरता है,

    उनकी उम्र लंबी होती है...
    bahut gahre satya ko ubhara hai , waah !

    जवाब देंहटाएं
  2. जब नज़र "रफ्तार" पर हो,तो कौन आजू-बाजू,कैसा सिग्नल और कैसी जान!

    जवाब देंहटाएं
  3. hanjiiiii.....sasuraal gayi thi.....
    :P

    जवाब देंहटाएं
  4. ससुराल की आपबीती नहीं सुनाएंगी...क्या लेकर आईं हमारे लिए...

    जवाब देंहटाएं

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