गुरुवार, 4 मई 2023

क्षणिकाएं


1) मुझे सुनने वाले कम रहे 
मगर अक्सर कहते हैं
जब मैं सबसे ज़्यादा चुप रहा
सबसे ज़्यादा कहने को था।

2) एक किताब पढ़ने में 
लग गए कई दिन 
और फिर भी कुछ हासिल नहीं हुआ
इस बार किसी बुज़ुर्ग से मिला हूं
दस किताबों का हासिल है 
मेरे पास।

3) रेलवे फाटक पर 
गाड़ियां अटकी हैं
साइकिल अटके हैं
पूरा गांव किसी बुज़ुर्ग की तरह
पहले निहारेगा जाने वालों को
फिर विदा करेगा

रेलगाड़ी एक बच्चे की तरह
इठलाती हुई गुज़र जाएगी


4)
कपड़े किसी और के
जूता किसी और का
घड़ी किसी और की
बस पुराना शहर मेरा है
और मैं किसी और का।

निखिल आनंद गिरि

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