बिहार की भाषाओं, (भोजपुरी/मैथिली/मगही, इत्यादि) में बिहार में ही अच्छी फिल्में बनाने का फायदा और नुक्सान | 
फायदा 
2. स्थानीय भाषाओं में ज्यादा से ज्यादा साहित्य रचने की शुरुआत | 
3. पहले के लिखे साहित्य पढ़े जाएंगे, जो कोई बिरले ही पढता है और उनपर फिल्मे बनेंगी | 
4. आप अपनी कहानी अपनी भाषा में कहकर उसमे वो रिअलिटी डाल सकते हैं जो आप मराठी, बांगला, असमिया, मलयालम इत्यादि फिल्मों में हम लोग देखते हैं | 
5. कलकारों की भाषाओं में कलाकारों के लिए रोजगार खड़ा होने लगता है | 
6. कलाकारों का पलायन रुकेगा | 
7. सिनेमा के साथ रंगमंच भी बढ़ेगा  | 
8. रंगमंच के कलाकारों के पास पूरे साल भी काम रहेगा सिनेमा के माध्यम से | 
9. आपको जबरजस्ती अपनी हिंदी ठीक करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी | आप सिर्फ अपनी मातृभाषा को और बेहतर कर सकते हैं ऐसा करके आप अपनी मातृभाषा को और समृद्ध बनाते हैं | जैसे दूसरे विकसित राज्य करते हैं | 
10. तकनीक से जुड़े लोग जैसे की कैमरामैन, एडिटर इत्यादि के पास भी बिहार में ही काम | 
11.  सिनेमा और साहित्य बढ़ता है तो पहचान को भी सम्मान मिलने लगता है | जैसे बंगाल या दक्षिण या मराठी गुजराती के साहित्य/सिनेमा से उनकी अच्छी पहचान है | 
12. आप बिहार की समस्या पर लगातार फिल्म बनाकर जनता में बदलाव का सन्देश दे सकते हैं, यहां तक की किसी मुद्दे पर आंदोलन भी खड़ा कर सकते हैं l 
13. आप लगातार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत सकते हैं | जैसे बंगाल के पास १०० से ज्यादा राष्ट्रीय पुरस्कार हैं | बिहार की भाषा में, बिहार में बनी सिर्फ एक फिल्म को है | ये एक सॉफ्ट पॉवर है l 
14. बिहार में रहकर कमाने से आप ज्यादा समृद्ध हो सकेंगे और मुंबई में पलायन करके फ़्रस्ट्रेट होने से बच जाएंगे | देश के १२ - १५ राज्य के कलाकारों को बम्बई में भटकने की ज़रूरत नहीं पड़ती है | 
15. फिल्मों की लागत बहुत कम हो जाती है और डिजिटल युग में कमाना आसान हो जाता है | 
16. बिहार में होने वाले "अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव" में बिहार का सिनेमा भी दिखने लगेगा | 
17. अश्लीलता धीरे धीरे कम हो जाएगी और बिहार की पहचान अश्लीलता और भोजपुरी की हलकी पोर्न फिल्मों से नहीं बल्कि अच्छी फिल्मों से होने लगेगी | 
18. आम लोगों में अपने अच्छे बदले हुए सिनेमा को देखकर असली गर्व होगा | बिहार पर गर्व करने के असली कारण तब होंगे | 
19. हिंदी में काम के लिए भटकने वाले लोग, बम्बई से बिहार आने लगेगें और उनके लिए अच्छी फिल्मों का ऑप्शन रहेगा | 
20. बहुत से डायरेक्टर, लेखक, मेरी तरह वालों को बंबई में नहीं रहना पड़ेगा | 
21. बिहार की कहानियों को ज्यादा दर्शक मिलेंगे, जैसे सत्यजीत रे की, दक्षिण इत्यादि के फिल्मों को मिलते हैं  | 
22. बिहार सरकार टैक्स से करोड़ों कमाएगी | 
23. टूरिज्म बढ़ेगा | 
24. दूसरे धंधे जैसे की केटरिंग, ट्रैवेलिंग, होटल इंडस्ट्री, इत्यादि, इत्यादि सब बढ़ेंगे | 
25. हर क्षेत्र में रोज़गार बढ़ेगा |    
नुकसान 
एक भी नहीं | 




- नितिन |
(नितिन नीरा चंद्रा बिहार की बोली और भाषा में फिल्म बनाए जाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं और मिथिला मखान, देसवा, जैक्सन हॉल्ट जैसी बेहतरीन फिल्में भी बना चुके हैं।)
 
 
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