शुक्रवार, 20 जनवरी 2017

कौन छिपा है?

ये ज़िंदगी से लंबी सड़कें किसने बना दीं
किसने बिछा दिए कंकड़?
कौन है रातें इतनी अंधेरी कर गया
किसने छीन ली आग कलेजे से।
कोई तो है छल से
रहता है छिपकर भीतर।

एक लड़की भी हो सकती है शायद
छोटे बालों वाली
या कोई गौरेया दाना लिए
छिपकर बैठी किसी कोने में
घुटनों में चेहरा छिपाए
कैसे तोड़ दूं छिपना किसी का।

आकाश छिप गया मन के भीतर
मौसम छिप गए सारे वहीं
मैं भूल गया वो कोना

जहां छिपना था सबसे बचकर।

निखिल आनंद गिरि
('तद्भव' पत्रिका में प्रकाशित)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

इस पोस्ट पर कुछ कहिए प्लीज़

ये पोस्ट कुछ ख़ास है

Bura Bhala Talent Hunt 2025