इतना तबाह कर कि तुझे भी यक़ीं न हो,
इक था भरम के वास्ते, वो दोस्त भी न हो....
महफिल से वो गया तो सभी रौनकें गईं..
ऐसा न हो वो आए, मगर ज़िंदगी न हो
ठिठुरे हैं जो नसीब, उनका अलाव बन...
सूरज ही क्या कि सबके लिए रौशनी न हो
मेरी ही नज़र छीन ले, कोई शख्स क्यूं गिरे...
मौला तेरे किरदार में कोई कमी न हो...
तौबा कभी न चांद पर, हरगिज़ करेंगे इश्क
उतरे कहीं खुमार, तो पग भर ज़मीं न हो...
साए थे, शोर था बहुत, इतना सुन सका...
कंक्रीट के जंगल में कोई आदमी न हो...
मंज़िल मिली तो कह गए, बाक़ी है कुछ सफ़र
वो उम्र क्या कि उम्र भर आवारगी न हो
ले जाओ सब ये शोहरतें, ये भीड़, ये चमक
रोने के वक्त हंसने की बेचारगी न हो...
निखिल आनंद गिरि
इक था भरम के वास्ते, वो दोस्त भी न हो....
महफिल से वो गया तो सभी रौनकें गईं..
ऐसा न हो वो आए, मगर ज़िंदगी न हो
ठिठुरे हैं जो नसीब, उनका अलाव बन...
सूरज ही क्या कि सबके लिए रौशनी न हो
मेरी ही नज़र छीन ले, कोई शख्स क्यूं गिरे...
मौला तेरे किरदार में कोई कमी न हो...
तौबा कभी न चांद पर, हरगिज़ करेंगे इश्क
उतरे कहीं खुमार, तो पग भर ज़मीं न हो...
साए थे, शोर था बहुत, इतना सुन सका...
कंक्रीट के जंगल में कोई आदमी न हो...
मंज़िल मिली तो कह गए, बाक़ी है कुछ सफ़र
वो उम्र क्या कि उम्र भर आवारगी न हो
ले जाओ सब ये शोहरतें, ये भीड़, ये चमक
रोने के वक्त हंसने की बेचारगी न हो...
निखिल आनंद गिरि