आईने ने जब से ठुकराया मुझे,
हर कोई पुतला नज़र आया मुझे...
रौशनी ने कर दिया था बदगुमां,
शाम तक सूरज ने भरमाया मुझे...
ऊबती सुबहों का सच मालूम था,
रात भर ख्वाबों ने बहलाया मुझे....
मैं बुरा था जब तलक ज़िंदा रहा,
'अच्छा था', ये कहके दफनाया मुझे...
जब शहर के शोर ने पागल किया,
एक भोला गांव याद आया मुझे....
ख्वाब टूटे, एक टुकड़ा चुभ गया,
देर तक नज़्मों ने सहलाया मुझे....
निखिल आनंद गिरि
हर कोई पुतला नज़र आया मुझे...
रौशनी ने कर दिया था बदगुमां,
शाम तक सूरज ने भरमाया मुझे...
ऊबती सुबहों का सच मालूम था,
रात भर ख्वाबों ने बहलाया मुझे....
मैं बुरा था जब तलक ज़िंदा रहा,
'अच्छा था', ये कहके दफनाया मुझे...
जब शहर के शोर ने पागल किया,
एक भोला गांव याद आया मुझे....
ख्वाब टूटे, एक टुकड़ा चुभ गया,
देर तक नज़्मों ने सहलाया मुझे....
निखिल आनंद गिरि
मेरि तरफ से मुबारकबादी क़ुबूल किजिये.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...
जवाब देंहटाएंBahut hi badhiya...
जवाब देंहटाएंaaine ne jab thukraya mujhe
har koi putla nazar aaya mujhe
मैं बुरा था जब तलक ज़िंदा रहा,
जवाब देंहटाएं'अच्छा था', ये कहके दफनाया मुझे...
भई ..वाह ..खूब लिखा है.
दिल को छू लिया आपकी रचना ने .
आभार .
हर शेर ज़बरदस्त. भला मैं क्या कहूँ.
जवाब देंहटाएंreally awesome bro....
जवाब देंहटाएंजब शहर के शोर ने पागल किया,
जवाब देंहटाएंएक भोला गांव याद आया मुझे....
जी हाँ ! ऐसा ही होता है ..
सुन्दर रचना
वाह ... बहुत बढ़िया शेर हैं भाई ....
जवाब देंहटाएंमैं बुरा था जब तलक ज़िदा रहा,
जवाब देंहटाएंअच्छा है कह कर दफ़नाया मुढे
...दुनिया की सच्चाई भी ओर दुनियावालों पर करारा व्यंग्य भी।
...बेहतरीन ग़ज़ल।
मैं बुरा था जब तलक ज़िंदा रहा,
जवाब देंहटाएं'अच्छा था', ये कहके दफनाया मुझे...
आज लोगों की फ़ितरत ही ऐसी हो गई है दुनिया छोड़ देने के बाद हर चीज़ अच्छी हो जाती है....बहुत बढ़िया रचना ..धन्यवाद
निखिल जी,
जवाब देंहटाएंबहुत जबरदस्त लिखा है आपने,
"रौशनी ने कर दिया था बदगुमां,
शाम तक सूरज ने भरमाया मुझे...
ऊबती सुबहों का सच मालूम था,
रात भर ख्वाबों ने बहलाया मुझे...."
Nice poem...accha kah k dafnaya muze
जवाब देंहटाएंमैं बुरा था जब तलक ज़िंदा रहा,
जवाब देंहटाएं'अच्छा था', ये कहके दफनाया मुझे...
very nice line aabhar
dinesh duggad