1) हमको ग़ैरों में कर लिया शामिल,
बस इसी बात पर दावत दे दी..
और सुना है कि सब दोस्त आए...
2) हर ज़ुबां पर इसी के चर्चे हैं,
इसकी क़ीमत भी चवन्नी जितनी
प्यार क्या है, हवामिठाई है...
3) एक वादा कभी किया भी नहीं,
एक रिश्ता कभी जिया भी नहीं..
आदमी आदमी का भी नहीं
4) साल गुज़रें तो ये ज़रूरी नहीं
हम भी दिन के हिसाब से गुज़रें
हमसे मत पूछिए कि उम्र क्या है...
5) थोड़ी-सी चाय गिरी तो ये मेहरबानी हुई...
सूखे कागज़ में भी स्वाद रहा, मीठा-सा...
वो भी नज़्मों को ज़रा देर तलक चखता रहा...
6) उनके होठों पे थीं, मांए-बहनें
अपने लब पर तो मुस्कुराहट थी,
शहर चिढ़ते हैं, गांव हंसते हैं...
7) ज़र्रे-ज़र्रे में बंदिशे-मज़हब,
जब कभी पेट में भी बल जो पड़े...
याद आता है जनेऊ पहले,
8) एक ही रात में क्या जादू हुआ,
दिन सलीके से उगे, बाद उसके
उफ्फ! अंधेरे हैं मेहरबान बहुत...
9) मेरी तहरीर में असर उसका,
ये तो बरसों से होता आया है...
सच भी इल्ज़ाम हो गया अब तो...
निखिल आनंद गिरि
बस इसी बात पर दावत दे दी..
और सुना है कि सब दोस्त आए...
2) हर ज़ुबां पर इसी के चर्चे हैं,
इसकी क़ीमत भी चवन्नी जितनी
प्यार क्या है, हवामिठाई है...
3) एक वादा कभी किया भी नहीं,
एक रिश्ता कभी जिया भी नहीं..
आदमी आदमी का भी नहीं
4) साल गुज़रें तो ये ज़रूरी नहीं
हम भी दिन के हिसाब से गुज़रें
हमसे मत पूछिए कि उम्र क्या है...
5) थोड़ी-सी चाय गिरी तो ये मेहरबानी हुई...
सूखे कागज़ में भी स्वाद रहा, मीठा-सा...
वो भी नज़्मों को ज़रा देर तलक चखता रहा...
6) उनके होठों पे थीं, मांए-बहनें
अपने लब पर तो मुस्कुराहट थी,
शहर चिढ़ते हैं, गांव हंसते हैं...
7) ज़र्रे-ज़र्रे में बंदिशे-मज़हब,
जब कभी पेट में भी बल जो पड़े...
याद आता है जनेऊ पहले,
8) एक ही रात में क्या जादू हुआ,
दिन सलीके से उगे, बाद उसके
उफ्फ! अंधेरे हैं मेहरबान बहुत...
9) मेरी तहरीर में असर उसका,
ये तो बरसों से होता आया है...
सच भी इल्ज़ाम हो गया अब तो...
निखिल आनंद गिरि
साल गुज़रें तो ये ज़रूरी नहीं
जवाब देंहटाएंहम भी दिन के हिसाब से गुज़रें
हमसे मत पूछिए कि उम्र क्या है...
bahut khoob... sadhuwaad...
बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसारी त्रिवेणियाँ एक से बढ़ कर एक हैं निखिल जी... बेहतरीन !!
जवाब देंहटाएंख़ासकर ये -
थोड़ी-सी चाय गिरी तो ये मेहरबानी हुई...
सूखे कागज़ में भी स्वाद रहा, मीठा-सा...
वो भी नज़्मों को ज़रा देर तलक चखता रहा...
मजा आ गया
जवाब देंहटाएंहमको ग़ैरों में कर लिया शामिल,
जवाब देंहटाएंबस इसी बात पर दावत दे दी..
और सुना है कि सब दोस्त आए...
बहुत सुन्दर त्रिवेणियाँ निखिल जी.
सच........सच भी इल्ज़ाम हो गया अब तो...
जवाब देंहटाएंkhub acchi acchi baaten kee hain.... :)
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