कोई भरे है मेरे लिए सिसकियां बहुत
आने लगी हैं इन दिनों हिचकियां बहुत
आपका ही क़द मुझे मुझसे बड़ा मिला
वरना तो मिलता ही रही हस्तियां बहुत
जब से असल में शेर की दहाड़ देख ली
गदहे भी ले रहे हैं अब मुरकियां बहुत
वो आंसुओं की ओस में भीगते मौसम
ये तन्हा, बेसुवाद, अजब सर्दियां बहुत
ये कौन है जो शहर को वीरान कर गया
हिलती रही हवाओं से भी खिड़कियां बहुत
जोकर तो हंसाता रहा वोट मांग कर
बस्ती में कैसे उठ रही चिंगारियां बहुत
आजकल सिसकियां शोर में दब जाती हैं
जवाब देंहटाएंपता नहीं उन्हें हिचकियां कब आती हैं