दिल से बेहतर कोई किताब नहीं
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ओ मृत्यु! तुम क्या किसी गलत द्वार आई थी हमने तो नहीं बुलाया था तुम्हें न ही दरवाज़े पर थी किसी दस्तक की आवाज़ दबे पांव कौन आता है संगिनी के ...
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