दिल से बेहतर कोई किताब नहीं
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नंगे, दबे पाँव, धीरे से आई तेरी रहगुज़र में मैं ...उस डिबिया में बंद मैली कुचैली सी पड़ी थी मैं जब बिटिया ने मुझे प्यार से उठाया, सजाया खुद ...
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