गुरुवार, 6 सितंबर 2012

मौसम

मुझे् एक बारिश याद है
जो मुझसे थोड़े फासले पर हो रही थी
और मैं जहां खड़ा था
वहां धूप के शामियाने थे

हालांकि मुझे भीगना था बारिश में
मगर धूप ख़ुद चलकर आई थी
मेरे पास..
तो मैंने थोड़ी देर धूप में भीगना चाहा

धूप गई थोड़ी देर में
तो चप्पलें छूट गईं उसकी
अचानक बारिश आईं
और बहा ले गई चप्पलें

मैं थोड़ी देर पहले ही धूप में भीगा था
फिर भी बारिश में भीगा
मैं बारिश में बारिश के पीछे भागा
धूप की चप्पलों के लिए

अचानक बारिश ने बदल लिया मन
मौसम ने बदल लिए शामियाने
धूप और बारिश में भीगा मैं..
अब बदल रहा हूं मौसम के हिसाब से..

 निखिल आनंद गिरि

4 टिप्‍पणियां:

इस पोस्ट पर कुछ कहिए प्लीज़

ये पोस्ट कुछ ख़ास है

दिल्ली मेट्रो - मेरा मेट्रो

मैंने अपने मीडिया के करियर में कम से कम नौ नौकरियां बदली हैं। दो साल से ज़्यादा कहीं टिक पाया तो वो संस्थान था दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ल...