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एक आईने का ख़त

काश… कभी तुमसे कह पाती सुलेखा कितना चाहता है कनु तुम्हें इतनी बातें हैं दिल में पर तुम्हारे सिवा किसे सुनाऊँ? याद है मुझे वो जन्मदिन तुम्हार...