मैं आज छुट्टी पर हूं
मगर इस तरह ही मनाना होगा
जैसे घर का कोई ज़रूरी काम हो
जैसे घरवालों के साथ
किसी सत्यनारायण कथा में जाने को लेकर खुश हूं
खेत या नदी या समंदर में नहाना
एक नौकरी में आने के बाद खामखयाली है।
दुनिया में होने का मतलब
घर में होना होता है।
आपका खाना, पहनना, सुबह से शाम होना
घर के रिमोट से चलता है।
दिल्ली के मुंह में गाली
कश्मीर में होती है पुलिस
बुरी फिल्मों में मां
अलां के बाद फलां।
नहीं मिल पाती घर में रोने की एक अदद जगह।
भ्रम को इस तरह भी कहा जा सकता है
जैसे आज मेरी प्रेमिका का जन्मदिन है
जो जीवन का हिस्सा है
मगर मेरे घर का हिस्सा नहीं है।
मगर इस तरह ही मनाना होगा
जैसे घर का कोई ज़रूरी काम हो
मैं खुश हूं
मगर इस तरह कहना होगाजैसे घरवालों के साथ
किसी सत्यनारायण कथा में जाने को लेकर खुश हूं
मैं नहा रहा हूं
ये बताने में भी घर का होना
ज़रूरी हैखेत या नदी या समंदर में नहाना
एक नौकरी में आने के बाद खामखयाली है।
किसी चलताऊ कवि से पूछिए
वो बिना किसी तर्क के कहेगा-दुनिया में होने का मतलब
घर में होना होता है।
आपका खाना, पहनना, सुबह से शाम होना
घर के रिमोट से चलता है।
घर इस तरह होता है जीवन में
जैसे बच्चे के मुंह में दूधदिल्ली के मुंह में गाली
कश्मीर में होती है पुलिस
बुरी फिल्मों में मां
अलां के बाद फलां।
घर के बारे में
इतना सब कुछ अच्छा कहने के बाद
भीनहीं मिल पाती घर में रोने की एक अदद जगह।
रोना फिर भी एक सच है
रोती आंखों के सामने दुनिया एक
भ्रम है भ्रम को इस तरह भी कहा जा सकता है
जैसे आज मेरी प्रेमिका का जन्मदिन है
जो जीवन का हिस्सा है
मगर मेरे घर का हिस्सा नहीं है।
निखिल आनंद गिरि
सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंhttp://rajeevranjangiri.blogspot.in/
घर को हटाकर देखें, तो कोई और हिस्सा नजर भी तो नहीं आता है
जवाब देंहटाएंबाकी सब कुछ देखने के लिए घर जरूरी है शायद
बेशक बाकी सब घर का हिस्सा न हो...
घर को हटाकर देखें, तो कोई और हिस्सा नजर भी तो नहीं आता है
जवाब देंहटाएंबाकी सब कुछ देखने के लिए घर जरूरी है शायद
बेशक बाकी सब घर का हिस्सा न हो...