इस शहर की सब आबोहवा,
धूल-मिट्टी और ख़ून के रंग का पसीना
सब आपकी देन है, सब कुछ....
हमें कोई ऐतराज़ नहीं इस बात पर
कि बच्चों के स्कूल में आप ही आए
हर बार सम्मानित अतिथि बनकर..
मासूम तालियों के सब तिलिस्म आपके...
और हमारे लिए सब सूनापन,
अथाह शोर और घमासान के बीच...
हमें तेल की पहचान तो है,
मगर मालिश करने का तरीका नहीं मालूम
इसीलिए फिसल जाता है नसीब...
हमारे रहनुमाओं की कोठियों के आगे बड़े-बड़े दरवाज़े
लोहे की मज़बूत दीवारें ऊंची-ऊंची..
जैसे सबसे ज़्यादा डर आम आदमी से हो....
कभी जाइए उन्हें देखने की हसरत लिए
हाथ में पिस्तौल लेकर संतरी करेंगे स्वागत
लोकतंत्र किसी बंदूक की नली पर जमी धूल की तरह है...
घर-गली के तमाम चेहरे...
अख़बार वाले का नाम और गांव का पिन कोड
भूल जाना सब कुछ
नियम है शहर का..
जिन पेड़ों को आपने रोपे हैं अपने गमले में
वो सिर्फ छुईमुई हैं अफसोस...
जो पेड़ बच गए हैं शहर की सांस के वास्ते...
उनके नाम तक नहीं पता किसी को...
और सुनिए, जब आपको नागरिक सम्मान देने के लिए
पुकारा गया था नाम ज़ोर-ज़ोर से...
तब आप भी टीवी देखने में व्यस्त थे
और ये ख़बर आई थी कि...
छह महीने भूख और दुख से बेहाल...
एक कमरे में मर गईं दो अकेली बहनें
सच कहिए वो आपका मोहल्ला नहीं था?
निखिल आनंद गिरि
धूल-मिट्टी और ख़ून के रंग का पसीना
सब आपकी देन है, सब कुछ....
हमें कोई ऐतराज़ नहीं इस बात पर
कि बच्चों के स्कूल में आप ही आए
हर बार सम्मानित अतिथि बनकर..
मासूम तालियों के सब तिलिस्म आपके...
और हमारे लिए सब सूनापन,
अथाह शोर और घमासान के बीच...
हमें तेल की पहचान तो है,
मगर मालिश करने का तरीका नहीं मालूम
इसीलिए फिसल जाता है नसीब...
हमारे रहनुमाओं की कोठियों के आगे बड़े-बड़े दरवाज़े
लोहे की मज़बूत दीवारें ऊंची-ऊंची..
जैसे सबसे ज़्यादा डर आम आदमी से हो....
कभी जाइए उन्हें देखने की हसरत लिए
हाथ में पिस्तौल लेकर संतरी करेंगे स्वागत
लोकतंत्र किसी बंदूक की नली पर जमी धूल की तरह है...
घर-गली के तमाम चेहरे...
अख़बार वाले का नाम और गांव का पिन कोड
भूल जाना सब कुछ
नियम है शहर का..
जिन पेड़ों को आपने रोपे हैं अपने गमले में
वो सिर्फ छुईमुई हैं अफसोस...
जो पेड़ बच गए हैं शहर की सांस के वास्ते...
उनके नाम तक नहीं पता किसी को...
और सुनिए, जब आपको नागरिक सम्मान देने के लिए
पुकारा गया था नाम ज़ोर-ज़ोर से...
तब आप भी टीवी देखने में व्यस्त थे
और ये ख़बर आई थी कि...
छह महीने भूख और दुख से बेहाल...
एक कमरे में मर गईं दो अकेली बहनें
सच कहिए वो आपका मोहल्ला नहीं था?
निखिल आनंद गिरि