रविवार, 26 जनवरी 2025

शोर करने वालों से सावधान

वो तीन में भी हैं
और तेरह में भी
शाम में भी
सवेरे में भी

आप कहिए कि एक नई किताब लिखनी है
वो कहेंगे किताबे तो हमने कई लिखी
इतनी लिखी कि नाम भी याद नहीं सबके

कहिए कि अख़बार में छपी है फलाने की फोटो
तो बोलेंगे कि ये सब कब का छोड़ दिया हमने
एक पेज मेरी ही तस्वीरों से छपा करते थे अख़बार 
पूछिए किस नाम का था अख़बार 
तो कहेंगे बताएंगे अगली बार

आप कहिए कि भोपाल एक अच्छा शहर है 
पहली बार गया मैं
कहेंगे पहली बार तो मैं गया था भोपाल
गया से थी मेरी ट्रेन
जब जाते ही झीलें भर गई थीं बारिश से
फल्गू नदी तभी पहली बार सूखी 
या फिर बशीर बद्र ने फलां शायरी उन्हीं के स्वागत में लिखी थी

कहिए कि मुझे सीने में दर्द की शिकायत है
वो कहेंगे सीने में दर्द क्या होता है
अजी इस युवा जीवन में तीन बार दिल का दौरा पड़ा
खड़ा हूं अब तक अपने पैरों पर
ये खड़प्पन है मेरा।

आप कहिए
कहिए मत कहने के लिए सांस भी लीजिए
तो कहेंगे सांस तो हम..

आप कहेंगे आंख
वो रतौंधी
नाक
तो नकसीर
आप कहेंगे पेट
वो कहेंगे बवासीर

बेहतर है आप कुछ न कहिए 
मौन रहिए
क्योंकि उन्होंने सिर्फ शोर करना सीखा है
मौन की भाषा में निरक्षर हैं
वह नहीं जानते कि समय शोर करने वालों का नहीं
समय आने पर बोलने वालों का ही होता है।

निखिल आनंद गिरि

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

इस पोस्ट पर कुछ कहिए प्लीज़

ये पोस्ट कुछ ख़ास है

शोर करने वालों से सावधान

वो तीन में भी हैं और तेरह में भी शाम में भी सवेरे में भी आप कहिए कि एक नई किताब लिखनी है वो कहेंगे किताबे तो हमने कई लिखी इतनी लिखी कि नाम भ...