tag:blogger.com,1999:blog-3985184180350538398.post3600413034485383657..comments2024-01-29T13:49:43.930+05:30Comments on आपबीती: अकेले में नहीं मिलने वाली लड़कियां....Nikhilhttp://www.blogger.com/profile/16903955620342983507noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-3985184180350538398.post-87263604191086439422011-02-07T22:28:44.028+05:302011-02-07T22:28:44.028+05:30वाह ...बहुत ही खूबसूरत शब्दों का संगम है इस रचना ...वाह ...बहुत ही खूबसूरत शब्दों का संगम है इस रचना में ...।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3985184180350538398.post-81606914074652152842011-02-07T14:36:51.731+05:302011-02-07T14:36:51.731+05:30बड़ी हीं गूढ बात कह दी आपने।
इसी से मिलती-जुलती ए...बड़ी हीं गूढ बात कह दी आपने।<br /><br />इसी से मिलती-जुलती एक बात कहीं पढी थी मैंने कि आपको चाहने वाला पहले तो आपकी आदतों और आपकी जीवन-शैली को बदल डालता है और फिर बाद में शिकायत भी करता है कि तुम पहले जैसे नहीं रहे.. बदल गए हो।<br /><br />-विश्व दीपकविश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3985184180350538398.post-86541998249175684682011-02-05T01:26:24.183+05:302011-02-05T01:26:24.183+05:30आखिरी दो पंक्तियों में सस्पेंस भी है और प्रश्न भी ...आखिरी दो पंक्तियों में सस्पेंस भी है और प्रश्न भी और उत्तर भी. इन 3-dimensional पंक्तियों को पढ़ कर मज़ा आ गया...Prem Chand Sahajwalahttps://www.blogger.com/profile/16785012663655370640noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3985184180350538398.post-18604684435809191352011-02-05T01:26:23.702+05:302011-02-05T01:26:23.702+05:30आखिरी दो पंक्तियों में सस्पेंस भी है और प्रश्न भी ...आखिरी दो पंक्तियों में सस्पेंस भी है और प्रश्न भी और उत्तर भी. इन 3-dimensional पंक्तियों को पढ़ कर मज़ा आ गया...Prem Chand Sahajwalahttps://www.blogger.com/profile/16785012663655370640noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3985184180350538398.post-65137922722056125242011-02-04T22:18:24.581+05:302011-02-04T22:18:24.581+05:30देखना चाहता हूं कैसे बांटती हैं अकेलापन...
अके...देखना चाहता हूं कैसे बांटती हैं अकेलापन... <br /> <br />अकेले में नहीं मिलने वाली लड़कियां... <br /> <br />nahi dekh paaogi kabhi ,koshish bekaar hai ................neelamhttps://www.blogger.com/profile/00016871539001780302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3985184180350538398.post-50663294404604522132011-02-04T00:47:58.145+05:302011-02-04T00:47:58.145+05:30हाँ सच में दो बार पढनी पढ़ी ये लाइने
जो कविता की बज...हाँ सच में दो बार पढनी पढ़ी ये लाइने<br />जो कविता की बजाये एक कटाक्ष लगती है<br />उस लड़की पर या उस जैसी कई लड़कियों पर जो परिवार की परिधिओं में बैठकर प्रेम का घर द्वार सजाती हैं<br />अकेले में मिलने से डरने वाली लड़कियां शायद अकेले में भी अपने उसी प्रेमी के सपने सजाती होंगी जिससे वो अकेले में नही मिल पाई<br />सवाल ये भी है की अकेले में मिलने जाने वाली लड़कियां अकेलपन के लिए क्या करती होंगी<br />.<br />.<br />.<br />हालाँकि ये शब्दों का घुमाव है इसी के इर्द गिर्द कहीं प्रेम भी गोते खाता रहता है कहीं अकेले में कहीं वीराने मेंhimanihttp://www.anubhuti-abhivyakti.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3985184180350538398.post-65316514196255818962011-02-03T12:38:18.510+05:302011-02-03T12:38:18.510+05:30बेहद गहन्………दो बार पढनी पडी ……………भावो का सुन्दर सम...बेहद गहन्………दो बार पढनी पडी ……………भावो का सुन्दर समन्वय्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3985184180350538398.post-19443743468681896282011-02-03T08:26:49.822+05:302011-02-03T08:26:49.822+05:30निखिल आपकी कविताओं को पढना एक अनुभव से गुजरना है.....निखिल आपकी कविताओं को पढना एक अनुभव से गुजरना है... इसलिए मैं नियमित कमेन्ट नहीं कर पता.. क्योंकि जो चीज़ दिल को छु जाये उसके लिए कुछ कहना बश में रह नहीं जाता... ऐसी ही आपकी पिछली कविता थी प्रेम त्रिकोण वाली... आज की कविता में प्रेम के द्वन्द, छद्म, मानसिकता आदि को अप्रत्यक्ष रूप से और कहूँगा प्रभावशाली ढंग से रख दिया आपने.. शुभकामना आपकी कविता के लिए..अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.com