tag:blogger.com,1999:blog-3985184180350538398.post2249718179883942829..comments2024-01-29T13:49:43.930+05:30Comments on आपबीती: सच भी सुनिए कभी...Nikhilhttp://www.blogger.com/profile/16903955620342983507noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-3985184180350538398.post-70991711979081388952012-06-30T15:27:09.971+05:302012-06-30T15:27:09.971+05:30लोकतंत्र किसी बंदूक की नली पर जमी धूल की तरह है......लोकतंत्र किसी बंदूक की नली पर जमी धूल की तरह है... यही पंक्ति काफी है कविता को पुर-असर करने के लिए..<br /><br />धूल नली के अंदर भी है, नली के बाहर भी और यही धूल खाती रहती है गोलियाँ भी... हम क्या धूल से ज्यादा हैं?विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3985184180350538398.post-80815526534317701852012-06-29T14:03:41.049+05:302012-06-29T14:03:41.049+05:30kitni zameeni haqeeqat hai is nazm mein...shabd na...kitni zameeni haqeeqat hai is nazm mein...shabd nahin hain...rulayenge kya...कमरुद्दीन खानhttps://www.blogger.com/profile/12059669943566357155noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3985184180350538398.post-32837090620903839752012-06-29T12:23:19.615+05:302012-06-29T12:23:19.615+05:30बहुत खूब निखिल जी.. एकदम सच्चा सच.. :) :)बहुत खूब निखिल जी.. एकदम सच्चा सच.. :) :)विपुलhttps://www.blogger.com/profile/13452068692037806898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3985184180350538398.post-37636303458674754622012-06-29T12:10:13.382+05:302012-06-29T12:10:13.382+05:30जिन पेड़ों को आपने रोपे हैं अपने गमले में
वो सिर्फ...जिन पेड़ों को आपने रोपे हैं अपने गमले में<br />वो सिर्फ छुईमुई हैं अफसोस...<br />जो पेड़ बच गए हैं शहर की सांस के वास्ते...<br />उनके नाम तक नहीं पता किसी को... इस सच से कोई नहीं बेखबर ... पर बेशक्ल बने मर रहे हैं लोगरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3985184180350538398.post-59489048113807968602012-06-29T11:31:18.838+05:302012-06-29T11:31:18.838+05:30गहन भाव लिए उत्कृष्ट लेखन ...आभारगहन भाव लिए उत्कृष्ट लेखन ...आभारसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3985184180350538398.post-79367871282966641622012-06-29T11:16:43.806+05:302012-06-29T11:16:43.806+05:30बहुत सच ...बेहतरीनबहुत सच ...बेहतरीनरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3985184180350538398.post-34806962595566569532012-06-29T09:32:21.622+05:302012-06-29T09:32:21.622+05:30ओह्ह... !!!! मुझे तो बहुत अच्छी लगी ये कविता...
हम...ओह्ह... !!!! मुझे तो बहुत अच्छी लगी ये कविता...<br />हमारे रहनुमाओं की कोठियों के आगे बड़े-बड़े दरवाज़े<br />लोहे की मज़बूत दीवारें ऊंची-ऊंची..<br />जैसे सबसे ज़्यादा डर आम आदमी से हो....<br />कभी जाइए उन्हें देखने की हसरत लिए<br />हाथ में पिस्तौल लेकर संतरी करेंगे स्वागत<br />लोकतंत्र किसी बंदूक की नली पर जमी धूल की तरह है...<br />वाह....<br />बेहतरीन...Shekhar Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02651758973102120332noreply@blogger.com