बुधवार, 28 दिसंबर 2011

मैं जी रहा हूं कि मर गया...

जो घड़ी-सी थी दीवार पर
वो कई दिनों से बंद है...
मेरे लम्हे हो गए गुमशुदा
किसी ख़ास वक्त में क़ैद हूं...

हुए दिन अचानक लापता...
यहां कई दिनों से रात है....
मुझे आइने ने कल कहा
तुम्हें क्या हुआ, क्या बात है

मुझे अब भी चेहरा याद है,
जो पत्थरों में बदल गया...
कोई था जो मेरी रुह से,
बिन कहे ही फिसल गया

ये उदासियां, बेचारग़ी
मेरे साथ हैं हर मोड़ पर,
आगे खड़ी हैं रौनकें,
तू ही बता मैं क्या करूं..

मैं रो रहा हूं आजकल
सब फिज़ाएं नम-सी हैं
जीते हैं कि इक रस्म है...
सांसे तो हैं, पर कम-सी हैं...

मैं यक़ीं से कहता हूं तू ही था
जो सामने से गुज़र गया
कोई ये बता दे देखकर,
मैं जी रहा हूं कि मर गया

निखिल आनंद गिरि

14 टिप्‍पणियां:

  1. कविता को लेबल्स के साथ पढ़कर देखा तो बहुत अजीब लगा ...
    रोमांटिक लाइफ , सैड पोएट्री !!!

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  2. गम जताने को कविता बेहतरीन है

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  3. यकीन करो कि तुम जी रहे हो, क्योंकि इस तरह भी तो कोई कोई खुशनसीब ही जीता है कि उसकी घड़ी ही खराब हो जाए और उसके लम्हे उलट पुलट हो जाएं...

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  4. Vani jee,
    क्या करें, ये सवाल है ही बड़ा अजीब...वैसे Label में एक married life भी है...

    प्रेम अंकल,
    शुक्रिया यकीन दिलाने के लिए कि ज़िंदा हूं...शायद खुशनसीब ही हूं...

    जवाब देंहटाएं
  5. badhia keep it up


    regards
    vipin choudhary

    जवाब देंहटाएं
  6. किसी रंजिश को हवा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी,
    मुझको एहसास दिला दो कि मै ज़िंदा हूँ अभी।

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  7. बेहतरीन........आपको नववर्ष की शुभकामनायें

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  8. मुझे अब भी चेहरा याद है,
    जो पत्थरों में बदल गया...
    कोई था जो मेरी रुह से,
    बिन कहे ही फिसल गया...और दे गया एहसास , मैं हूँ जिंदा और मेरे एहसास जिंदा

    जवाब देंहटाएं
  9. मुझे अब भी चेहरा याद है,
    जो पत्थरों में बदल गया...
    कोई था जो मेरी रुह से,
    बिन कहे ही फिसल गया

    न जाने कितना कुछ फिसल जाता है ..और कदम हैं कि आगे बढ़ जाते हैं .. अच्छी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  10. मुझे अब भी चेहरा याद है,
    जो पत्थरों में बदल गया...
    कोई था जो मेरी रुह से,
    बिन कहे ही फिसल गया
    bahut sundar prastuti badhai

    जवाब देंहटाएं
  11. हुए दिन अचानक लापता...
    यहां कई दिनों से रात है....
    मुझे आइने ने कल कहा
    तुम्हें क्या हुआ, क्या बात है

    koi yaad dilaane vala to hai....

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  12. gr dukh me itni badhiya kavita kahi ja skti hai to dukhi hona bura to ni.....

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