उम्र की कच्ची सड़कों पर जब, हम-तुम अल्हड़ मस्त चाल में;
सब कुछ पीछे छोड़ बढ़े थे...
तुमको भी सब याद ही होगा...
नर्म ज़ुबां में भोली नज़्में,
मैं गढ़ता था, तुम सुनती थीं..
एक नज़्म जो अटक गई थी,
नटखट थोड़ी, नकचढ़ी सी...
उम्र की सीढ़ी पर चुपके से...
मैंने तुम्हारे रस्ते में रख छोड़ी थी...
रिश्तों की पोशाक ओढ़ाकर.
थोड़ा-सा बहला फुसलाकर
तुमको भी सब याद ही होगा...
बहकी-बहकी नज़्म को तुमने,
ठोकर मारी और गुज़र गए...
अल्हड़, अगड़ाई लेती नज़्म वो
रिश्तों की पोशाक लपेटे,
सुबक-सुबक कर, कहीं दुबक कर...
उम्र के रस्ते में खोई थी...
तुमको भी सब याद ही होगा...
आज अचानक किसी गली में,
वक्त के लब पर...
वही नज़्म फिर से,
मुझे दिख पड़ी है...
मिसरे वही हैं, बहर भी वही है...
रिश्तों की पोशाक ज़रा-सी रफू हुई है...
वही शरारत, नज़्म में अब भी...
भोलापन, अंगड़ाई वही है...
तुम्हारी ठोकर से जो एक रिश्ता
हौले-हौले सुबक रहा था,
उम्र की कच्ची सड़कों पर,
बरसों से दुबक रहा था...
उन्हीं लबों की इसे फिर तलब है....
दे दो न इसको आवाज़ साथी....
निखिल आनंद गिरि
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नर्म ज़ुबां में भोली नज़्में,
जवाब देंहटाएंमैं गढ़ता था, तुम सुनती थीं..
एक नज़्म जो अटक गई थी,
नटखट थोड़ी, नकचढ़ी सी...
उम्र की सीढ़ी पर चुपके से...
मैंने तुम्हारे रस्ते में रख छोड़ी थी...
रिश्तों की पोशाक ओढ़ाकर.
थोड़ा-सा बहला फुसलाकर
तुमको भी सब याद ही होगा...
komal se ehsaas , shbdon ki poshaak
उम्र की कच्ची सड़कों पर जब, हम-तुम अल्हड़ मस्त चाल में;
जवाब देंहटाएंसब कुछ पीछे छोड़ बढ़े थे...
chalo n ek baar wahin laut chalen
कई हिस्से बेहद खूबसूरत है जैसे.....
जवाब देंहटाएंनर्म ज़ुबां में भोली नज़्में,
मैं गढ़ता था, तुम सुनती थीं..
ओर ये .....
मिसरे वही हैं, बहर भी वही है...
रिश्तों की पोशाक ज़रा-सी रफू हुई है...
वैसे तुम्हारा टेलेंट देखकर लगता है इन्हें ओर बेहतरीन कर सकते हो....
nazm mujhe bahut pyaari lagi, aapne shayad pehli baar apne style se hat ke kuch kaha hai.. :)
जवाब देंहटाएंवही नज़्म फिर से,
जवाब देंहटाएंमुझे दिख पड़ी है...
मिसरे वही हैं, बहर भी वही है...
रिश्तों की पोशाक ज़रा-सी रफू हुई है...
सुन्दर!कुछ बातें कभी नहीं बदलती.......!
कोमल एहसासों से बुनी सुन्दर रचना!
उन्हीं लबों की इसे फिर तलब है....
जवाब देंहटाएंदे दो न इसको आवाज़ साथी....
वाह! क्या कहूँ इन अहसासो को…………एक आवाज़ पर रुके बैठे हैं…………गज़ब की प्रस्तुति।
नर्म ज़ुबां में भोली नज़्में,
जवाब देंहटाएंमैं गढ़ता था, तुम सुनती थीं..
bohot bohot bohot hi kamaal ki lines....tooo good :)
सुबक-सुबक कर, कहीं दुबक कर...
उम्र के रस्ते में खोई थी...
तुमको भी सब याद ही होगा...
beautiful....
आज अचानक किसी गली में,
वक्त के लब पर...
वही नज़्म फिर से,
मुझे दिख पड़ी है...
मिसरे वही हैं, बहर भी वही है...
रिश्तों की पोशाक ज़रा-सी रफू हुई है...
ab jab sabne keh diya to mere kehne se kya hona hai...amazing
उन्हीं लबों की इसे फिर तलब है...
दे दो न इसको आवाज़ साथी....
tooooooooooo goooood..! nazm kam, geet zyada lagti hai, bohot hi khoobsurat rhythm hai
आज अचानक किसी गली में,
जवाब देंहटाएंवक्त के लब पर...
वही नज़्म फिर से,
मुझे दिख पड़ी है...
मिसरे वही हैं, बहर भी वही है...
रिश्तों की पोशाक ज़रा-सी रफू हुई है...
..................supubb....wet in all by d feelings u presented...
best wishes ....